डॉ. भीमराव आंबेडकर कामधेनु योजना – पशुपालको के लिए बड़ी सौगात

डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना: हितग्राहियों को मिलेगी 25 से 33% तक सब्सिडी, ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर चयन

डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना: भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार ने 14 अप्रैल, 2025 को डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों को सशक्त बनाना और राज्य में आधुनिक डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देना है। शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाने और किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की गई है।”

मध्यप्रदेश सरकार ने पशुपालकों को सशक्त बनाने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जिसमें एक इकाई की लागत अधिकतम 42 लाख रुपए होगी।

योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को मध्यप्रदेश का निवासी होना आवश्यक है, साथ ही डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की सौगात दी है। देश में दूध, दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग, उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमिता विकास कार्यक्रम की स्थापना होनी है। एक इकाई में सारे गौवंश या सारे भैंसवंश होंगे। एक इकाई की सारी गाय-भैंस एक ही प्रजाति की होंगी।

नियम एवं शर्तें -


योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए
योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए होगी। इसमें पशुपालक की उम्र 21 साल से ऊपर होना जरूरी है। उन्हें अनुभव के लिए सरकारी या सरकार नामित संस्था से डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण भी लेना होगा। इस प्रशिक्षण के लिए सरकार अलग से निर्देश जारी करेगी। इस योजना के हितग्राहियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। हितग्राही के पास हर इकाई के लिए कम के कम  3.50 एकड़ कृषि भूमि होनी जरूरी है। इस भूमि में परिवार की सम्मिलित भूमि का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए अन्य सदस्यों की सहमति आवश्यक होगी।

इनको मिलेगी प्राथमिकता -

इस योजना में वर्तमान में दुग्ध संघों में पहले से ही दूध सप्लाई कर रहे पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाएगी। दुग्ध संघ प्रोड्युसर कंपनी के प्रचलित मिल्क रूट या नए मिल्क रूट पर आने वाले हितग्राहियों को प्राथमिकता देंगे। एक हितग्राही को एक या एक से अधिक (अधिकतम 8 इकाइयों, 200 दुधारू पशु) लेने की पात्रता होगी। एक से अधिक इकाईयां लेने की स्थिति में उन्नत गाय/संकर गाय या भैंस की इकाई अपनी सुविधा अनुसार चयन कर सकेगा। यानी, अगर हितग्राही तीन इकाइयां लेता है तो वह अपनी इच्छा अनुसार एक भैंस की इकाई, एक संकर गाय की इकाई तथा एक उन्नत देशी गौवंश की इकाई भी ले सकेगा। अगर हितग्राही द्वारा एक बार योजना का लाभ लेकर समस्त ऋण चुका दिया जाता है तो वह अगली बार योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होगा। यह सुविधा अधिकतम आठ इकाईयों तक दी जा सकेगी। एक ऋण व दूसरे ऋण के बीच में कम से कम 2 वर्ष का अंतर जरूरी है

हितग्राहियों को मिलेगी सब्सिडी -

इस योजना से लाभान्वित होने वाले लाभार्थी को डेयरी इकाई को सतत रूप से अधिकतम 7 वर्षों तक या ऋण की समाप्ति तक संचालित करना होगा। लाभार्थियों का चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होगा। दूसरा ऋण केवल पिछले ऋण चक्र के संतोषजनक पुनर्भुगतान पर ही दिया जाएगा।

ऋण चार चरणों में वितरित किया जाएगा। पूंजी सब्सिडी और ब्याज अनुदान, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 33 प्रतिशत तथा अन्य समस्त वर्गों के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी होगी। सब्सिडी वितरण की पहली तारीख से 3 वर्ष की लॉक इन अवधि के अंतर्गत एकमुश्त प्रदाय होगी। इस पर हितग्राही को कोई ब्याज नहीं देना होगा। हितग्राही अपने ऋण का भुगतान निर्धारित ऋण अवधि से पूर्व कभी भी कर सकता है।

सब्सिडी विवरण -

यह योजना डेयरी उद्यमियों पर वित्तीय बोझ कम करने और डेयरी फार्मिंग को अधिक सुलभ और लाभदायक बनाने के लिए महत्वपूर्ण सब्सिडी प्रदान करती है। ये सब्सिडी कुल परियोजना लागत के प्रतिशत के रूप में प्रदान की जाती है और लाभार्थी की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग होती है।

वर्ग

सब्सिडी प्रदान की गई

एससी/एसटी लाभार्थी –

परियोजना लागत का 33%

अन्य लाभार्थी –

परियोजना लागत का 25%

इसका मतलब यह है कि 42 लाख रुपये की लागत वाली डेयरी इकाई के लिए:

एससी/एसटी लाभार्थी 13.86 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।

अन्य लाभार्थियों को 10.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।

सब्सिडी से सीधे तौर पर ऋण का बोझ कम होता है और छोटे और सीमांत किसानों की भागीदारी बढ़ती है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि डेयरी इकाइयाँ लंबे समय तक वित्तीय रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ रहें।

इसके अतिरिक्त, सब्सिडी वापस नहीं की जाती है और इसे ऋण के साथ समायोजित कर दिया जाता है, जिससे ईएमआई कम हो जाती है और लाभार्थी के लिए पुनर्भुगतान आसान हो जाता है।

पात्रता मापदंड -

पात्र होने के लिए आवेदकों को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:

  • मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी
  • न्यूनतम आयु 21 वर्ष कम से कम
  • 3.5 एकड़ कृषि भूमि का स्वामित्व
  • किसी सरकारी या मान्यता प्राप्त संस्थान से ट्रेनिंग

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