ड्रैगन फ्रूट क्या है ?
ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है जिसे पिताया भी कहा जाता है। यह फल कैक्टस परिवार से संबंधित होता है और इसके फल में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। भारत में हाल के वर्षों में ड्रैगन फ्रूट की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि इसकी मांग अधिक है, और लाभ भी अच्छा मिलता है। यह फल खाने में न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि हमारे पारंपरिक फसलें जैसे गेहूँ, धान,आदि की तुलना में ज्यादा लाभकारी फसल की श्रेणी में आता है |

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
ड्रैगन फ्रूट के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। जलवायु उष्णकटिबंधीय और अर्ध-शुष्क , तापमान 20-35 डिग्री से. उचित होता है | अच्छी जलनिकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी जिसका ph मान 6-7 हो अच्छी मानी जाती है | यह फसल बहुत अधिक पानी नहीं चाहती, जलभराव की स्थिति में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए |
ड्रैगन फ्रूट की प्रमुख किस्में
ड्रैगन फ्रूट की मुख्यतः तीन किस्में होती हैं:-
- हाइलोसेरेस उंडेटस (Hylocereus undatus) – जिसका गूदा सफ़ेद तथा छिलका गुलाबी रंग का होता है |
- हाइलोसेरेस पोलिरीहिज़स (Hylocereus polyrhizus) – जिसका गूदा लाल और छिलका भी लाल रंग का होता है |
- सेलेनिसेरेस मेगालंथस (Selenicereus megalanthus) – जिसका गूदा सफ़ेद और छिलका पीले रंग का होता है |
1. हाइलोसेरेस उंडेटस (Hylocereus undatus)
- छिलका: गहरे गुलाबी या लाल रंग का
- गूदा (पल्प): सफेद रंग का
- बीज: काले छोटे बीज
- विशेषता: यह सबसे सामान्य और भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है।
- उपयुक्त राज्य: महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक
2. हाइलोसेरेस पोलिरीहिज़स (Hylocereus polyrhizus)
- छिलका: गहरे लाल रंग का
- गूदा (पल्प): गहरा गुलाबी या लाल रंग का
- स्वाद: मीठा और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
- विशेषता: इसका गूदा रंगीन होने के कारण बाजार में अधिक मांग रहती है।
- उपयुक्त क्षेत्र: दक्षिण भारत के अधिकांश भाग
3. सेलेनिसेरेस मेगालंथस (Selenicereus megalanthus)
- छिलका: पीले रंग का
- गूदा (पल्प): सफेद
- विशेषता: यह किस्म आकार में थोड़ी छोटी होती है लेकिन स्वाद में अधिक मीठी और महंगी बिकती है।
- इसकी खेती भारत में कम स्तर पर होती है क्योंकि इसमें अधिक देखभाल की जरूरत होती है।
भारत में सबसे अधिक हाइलोसेरेस की किस्में ही उगाई जाती हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती की तैयारी
- खेत को अच्छे से जोत कर समतल करें
- ड्रैगन फ्रूट की खेती में खंभा या ट्रेली सिस्टम का उपयोग होता है
- पौधों के बीच 2×2 मीटर की दूरी रखें
- एक खंभे पर 4 पौधे लगाए जा सकते हैं
ड्रैगन फ्रूट की खेती में खंभा पद्धति सबसे कारगर मानी जाती है क्योंकि यह पौधे को सहारा देती है और फल की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
ड्रैगन फ्रूट का बीज कहां मिलेगा ?
ड्रैगन फ्रूट की खेती ज्यादातर कटिंग्स (पौधे की शाखाओं) से की जाती है, क्योंकि बीज से पौधा उगाना समय लेने वाला और कम विश्वसनीय होता है।
बीज से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट के पौधे 3-4 साल में फल देना शुरू करते हैं, जबकि कटिंग्स से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट के पौधे 14-15 महीनों में फल देने लगते हैं। फिर भी, अगर आप बीज से खेती करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित जगहों से बीज प्राप्त कर सकते हैं:
- बाजार से ड्रैगन फ्रूट खरीदें:
स्थानीय फल बाजार या सुपरमार्केट से ड्रैगन फ्रूट खरीदें। फल को काटकर इसके छोटे-छोटे काले बीज निकाल लें। इन बीजों को धोकर सुखा लें और नर्सरी ट्रे में बो दें। - कृषि केंद्र और नर्सरी:
कुछ नर्सरी ड्रैगन फ्रूट के बीज भी बेचती हैं। आप अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। - ऑनलाइन स्टोर:
Amazon, Flipcart जैसे प्लेटफॉर्म पर ड्रैगन फ्रूट के बीज उपलब्ध हैं। ऑनलाइन खरीदी से पहले यह सुनिश्चित करें कि बीज ताजा हों और विक्रेता की रेटिंग अच्छी हो।

ड्रैगन फ्रूट के बीज से पौधा उगाने की प्रक्रिया:
- बीजों को 24 घंटे पानी में भिगो दें।
- नर्सरी ट्रे में नारियल की भूसी (कोकोपीट) और रेत का मिश्रण डालें।
- बीजों को 1-2 सेंटीमीटर गहराई में बोएं और हल्का पानी छिड़कें।
- ट्रे को छायादार जगह पर रखें और 10-15 दिनों में अंकुरण शुरू हो जाएगा।
- 3-4 महीने बाद पौधों को खेत में स्थानांतरित करें।
सिंचाई और देखभाल
- शुरुआती दिनों में हर 7–10 दिन में सिंचाई करें |
- बाद में 15–20 दिन पर सिंचाई पर्याप्त होती है |
- टपक सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation) उपयुक्त है |
- समय-समय पर निंदाई और गुड़ाई करें |
ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती, क्यूंकि यह कैक्टस परिवार से आटा है जिसके कारण पानी की बचत भी होती है।
कीट और रोग प्रबंधन
कुछ सामान्य कीट और रोग जैसे :-
- कीट: एफिड्स, माइट्स, थ्रिप्स
- रोग: स्टेम रोट (तने का सड़ना), फंगल संक्रमण
नियंत्रण उपाय:
- जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें जैसे नीम तेल स्प्रे |
- रोगग्रस्त भाग को काटकर हटा दें |
- कार्बेन्डाजिम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें |
कटाई और पैदावार
ड्रैगन फ्रूट की खेती में:
- पौधे 14-15 महीने में फल देना शुरू करते हैं |
- जून से नवंबर तक फल तोड़े जाते हैं |
- एक पौधा साल में लगभग 15–25 फल देता है |
- प्रति हेक्टेयर अनुमानित उपज: 10–15 टन |
ड्रैगन फ्रूट की मार्केटिंग और लाभ
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग
- प्रति किलो 80–250 रुपये तक बिकता है
- कम पानी और कम देखरेख में अधिक मुनाफा
यह फसल किसानों के लिए एक उभरता हुआ और लाभकारी विकल्प है, खासकर सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में। जहाँ सिंचाई का साधन अत्यल्प हो उस क्षेत्र में भी यह अच्छे तरह से पैदावार देता है |
ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों करें ?
- कम लागत, में अधिक मुनाफा वाली खेती है |
- स्वास्थ्यवर्धक और निर्यात योग्य फसल जिससे कि अच्छी आमदनी होती है |
- बदलते मौसम में भी अनुकूल है |
FAQs :-
Q1. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सबसे उपयुक्त राज्य कौन-से हैं?
उत्तर: महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे राज्य ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त हैं।
Q2. ड्रैगन फ्रूट के एक पौधे से साल में कितने फल मिल सकते हैं?
उत्तर: एक पौधा साल में औसतन 15 से 25 फल देता है। देखभाल के अनुसार संख्या बढ़ भी सकती है।
Q3. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कितनी लागत आती है?
उत्तर: प्रति एकड़ लागत लगभग ₹1.5 लाख से ₹2 लाख तक हो सकती है, जिसमें खंभे, पौधे, सिंचाई आदि शामिल होते हैं।
Q4. ड्रैगन फ्रूट की खेती में लाभ कितना होता है?
उत्तर: बाजार मूल्य और उपज के अनुसार प्रति एकड़ ₹4–5 लाख तक का वार्षिक लाभ हो सकता है।
Q5. क्या ड्रैगन फ्रूट की खेती जैविक तरीके से की जा सकती है?
उत्तर: हां, जैविक खाद, नीम आधारित कीटनाशक और मल्चिंग तकनीक के माध्यम से इसकी खेती जैविक पद्धति से की जा सकती है।
Q6. क्या सरकार ड्रैगन फ्रूट की खेती पर सब्सिडी देती है?
उत्तर: हां, बागवानी विभाग और कृषि योजनाओं के तहत ड्रिप इरिगेशन, पौधरोपण आदि पर सब्सिडी दी जाती है। राज्य के कृषि विभाग से संपर्क करें।