वैज्ञानिक नाम – Steneotarsonemus spinki
धान का पेनिकल माइट (Panicle Rice Mite), एक सूक्ष्म तरसोनेमिड माइट(मकड़ी) है, जो धान के पत्तों के आवरण (leaf sheath) और विकसित हो रहे पेनिकल/धान के दानों पर चोंच देकर(खुरच कर) नुकसान पहुंचाता है। यह बहुत ही छोटा (लगभग 0.25 mm) और अक्सर नग्न आंख से नहीं दिखने वाला कीट है, पर इसके कारण फ़सल में बडे़ पैमाने पर उपज हानि और दानों का विकृति(बालियों के दाने तोते की चोंच जैसी आकार ले लेते हैं जिसे (parrot-beaking) कहते हैं , straight-head, दाने सड़े हुए के जैसे दिखना) हो सकती है | उपज में नुकसान 5% से लेकर 90% तक रिपोर्ट किया गया है।

धान का पेनिकल माइट की क्रिया-प्रणाली (Mode of Attack / Action)
- पेनिकल माइट मुख्यतः पत्तियों के आवरण (leaf sheath) के अंदर और कॉलर के पास छुपकर खाते हैं। वे पत्तियों और पैनिकल के ऊतकों में सलाइवा इंजेक्ट करते हैं जिससे ऊतक का रंग बदलना, सूखना और गहरे भूरे धब्बे बनना शुरू हो जाता है।
- पेनिकल के विकास के दौरान (boot से लेकर milk stage तक) अगर माइट पेनिकल पर हमला करता है तो दाने बनते समय असंगठित, असंतुलित या उदासीन (sterile, deformed, parrot-beaked) हो सकते हैं। इससे धान की पैदावार और आनाज की गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है।
- यह माइट फफूंदी और बैक्टीरिया जैसे रोगजनकों के प्रसार में भी सहायक हो सकता है – माइट के खरोंचने से ऊतक में घाव बनते हैं जो रोगाणुओं के प्रवेश के लिए दरवाजा खोलते हैं।
पहचान –
लक्षण
- गहरे भूरे-रंग के धब्बे या पट्टियों में भूरा रंग का बनना – विशेषकर पत्ता आवरण (leaf sheath) में दिखाई देता है।
- धान के दानों का विकृत होना – सीधा सिर (straight-head), धान की बालियों का नीचे की ओर मुड़ना (parrot-beaking), दानों का कच्चा/बदतर स्वरूप या नकारात्मक अंकुरण।
- पैदावार में असामान्य कमी या कुछ पौधों का ब्लीच/पीला दिखाई देना जब भी आंतरिक शीतलता में माइट सक्रिय हो।
सूक्ष्म-परीक्षण (Sampling & identification)
- माइट नग्न आँखों से मुश्किल से दिखाई देते हैं, निरीक्षण के लिए कम से कम 20× हैंड लेंस या सूक्ष्मदर्शी आवश्यक है। माइट पत्ती आवरण हटाकर अंदर देखे जाते हैं।
- छोटे पारदर्शी/भूरी रंग के अंडे और लार्वा दिखाई दे सकते हैं; जीवन चक्र तापमान पर निर्भर करके 3–21 दिनों में पूरा होता है।
धान पेनिकल माइट की अनुकूल परिस्थिति
- ऊँचे तापमान और कम वर्षा/शुष्क मौसम पेनिकल माइट के लिए अधिक अनुकूल होते हैं; गर्म-सूखी परिस्थितियाँ इसकी आबादी को तेजी से बढ़ने देती हैं।
- निरंतर धान की फसल (continuous rice culture), बार-बार कटाई/दूसरी फसल (double-cropping) और खेतों के बीच परसंसाधन/उपकरण साझा करना प्रकोप को बढ़ाते हैं।
- आसपास के वनस्पति/खरपतवार (weedy Oryza प्रजातियाँ और कुछ साइपरस जैसे घास-पात) भी रिज़र्व होस्ट का काम करते हैं जिससे माइट खेतों में बना रहता है।
नियंत्रण उपाय — Integrated Pest Management (IPM) रणनीति
नोट: पेनिकल माइट बहुत छोटा और पत्ती के अंदर रहता है, इसलिए केवल रासायनिक स्प्रे अक्सर सीमित प्रभावशीलता देते हैं। सबसे अच्छा परिणाम तब मिलता है जब सांस्कृतिक, जैविक और रासायनिक उपायों को मिलाकर उपयोग किया जाए।
1) सांस्कृतिक नियंत्रण (Cultural control)
- पौध संरक्षण और फसल-रोटेशन:- फसल चक्र में धान का लगातार न होना; यदि संभव हो तो रोटेशन अपनाएं और खेत को फॉलो करें। यह कीट के होस्ट उपलब्धता को घटाता है।
- कटाई के बाद स्टबल प्लाउइंग (stubble ploughing) और अवशेष नष्ट करना: कटाई के बाद बचे टुकड़ों को जला कर या हल से दफन कर देना जिससे माइट के पनाह स्थान कम हों।
- खेत की सफाई और उपकरणों का संरक्षण: दूसरे संक्रामित खेत से उपकरण ले जाते समय अच्छी तरह साफ करें – माइट उपकरणों और गंदे बीज/औजारों से फैलते हैं।
- दूसरी फसल या फंसी हुई कटाई से परहेज़: सेकेंड्री क्रॉपिंग को टाला जा सके तो टालें, क्योंकि लगातार धान की फसल लेने पर इनकी जनसँख्या में बढ़ोतरी होती है।
2) जैविक नियंत्रण (Biological control)
- प्राकृतिक शत्रु और परजीवी:–
कुछ प्रीडेटरी माइट्स और फंगल पैथोजेन्स पेनिकल माइट की आबादी दबा सकते हैं; जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए रसायन कम प्रयोग करें। हालांकि इनकी उपलब्धता और प्रभावशीलता क्षेत्र अनुसार बदलती है।
3) रासायनिक नियंत्रण (Chemical control)
- सिस्टमिक मिटीसाइड्स (systemic miticides): चूंकि माइट अंदरूनी शील्डेड भागों में रहते हैं, इसलिए केवल सतह स्प्रे कई बार असरदार नहीं होते। कुछ सिस्टमिक मिटीसाइड ही प्रभावी साबित हुए हैं, पर इनका उपयोग स्थानीय निर्देश और रजिस्ट्रेशन के अनुसार ही करें।
- सावधानी: रासायनिक नियंत्रण से पहले आर्थिक हानि स्तर (economic threshold) की जाँच करें और रोटेशन तथा प्रमाणित उत्पादों का ही प्रयोग करें। रसायनों के अति-प्रयोग से लाभकारी जीवों को नुकसान और प्रतिरोध (resistance) बढ़ सकता है।
4) निगरानी और समय पर कार्रवाई (Monitoring & Thresholds)
- रोपण के बाद 2 सप्ताह और हेडिंग से पहले नियमित निरीक्षण: जल्दी चरणों में आबादी पकड़ में आ जाए तो नियंत्रण सस्ता और असरदार होता है। पत्ती आवरण हटाकर बड़े पैमाने पर जाँच करें।
खेत में सुरक्षा — प्रैक्टिकल टिप्स (Practical Field Protection)
- स्वच्छ बीज और स्वस्थ प्लांटिंग मटेरियल का प्रयोग — संक्रमित बीज/रोपण सामग्री से प्रकोप फैलता है।
- फसल चक्र और फॉलोवर्स: एक ही जगह पर लगातार धान न लगाएं; फसल चक्र अपनाएँ और वीक-हॉस्ट्स (अनावश्यक जंगली घास) हटाएँ।
- बुआई-विधि और पौधे की दूरी: घना रोपण माइट के लिए microclimate बनाता है; सही पौधे दूरी और अच्छी वेंटिलेशन रखें।
- समय पर कटाई: जब अलग-अलग पौधों पर भारी संक्रमण दिखे तो उचित समय पर कटाई कर क्षति कम कर सकते हैं।
- साझा उपकरणों की सफाई: अन्य खेत से मशीनरी या गोदाम आया-जाया करने से पहले धोएँ और स्वच्छ करें।
खेत के लिए एक सरल निगरानी/कार्रवाई चेकलिस्ट (Farmer-friendly checklist)
- हर 7–10 दिनों पर 10-15 पौधों का निरीक्षण करें।
- पत्ती आवरण खोलकर अंदर से भूरे धब्बे और सूक्ष्म कीड़ों की उपस्थिति देखें।
- अगर 5–10% पौधों में स्पष्ट लक्षण मिलें तो सांस्कृतिक उपाय तीव्र करें; आबादी बढ़ने पर विशेषज्ञ से रासायनिक सलाह लें।
(FAQs)
प्रश्न: क्या पेनिकल माइट मनुष्यों या पशुओं के लिए हानिकारक है ?
उत्तर: यह विशेष रूप से धान का कीट है और मनुष्यों पर सीधे प्रभावकारी नहीं माना जाता।
प्रश्न: क्या घरेलू/घास के फफूंद-नाशक धान के पेनिकल माइट पर असर देते हैं ?
उत्तर: सामान्य फफूंद-नाशक इन माइट्स पर असरदार नहीं होते। माइट के लिए विशेष मिटीसाइड या सिस्टमिक एजेंट अधिक उपयोगी होते हैं, पर प्रयोग हमेशा पंजीकृत उत्पाद और कृषि विशेषज्ञ की सलाह से करें।
प्रश्न: क्या पेनिकल माइट ईको-फ्रेंडली (जैविक) उपाय हैं ?
उत्तर: फसलों का रोटेशन, अवशेषों का दफन, प्राकृतिक शत्रुओं को बनाए रखना तथा कम-रासायनिक रणनीति से प्रकोप नियंत्रित किए जा सकते हैं। पर गंभीर प्रकोप में जैविक उपायों का समय लेने वाला प्रभाव हो सकता है।