भारत देश में धान की फसल सबसे ज्यादा भाग में बोई जाती है। यह हमारे देश के करोड़ों किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है। लेकिन धान की फसल पर कई प्रकार के कीट और रोग आक्रमण करते हैं, जिनमें सबसे खतरनाक कीटों में से एक है, धान में भूरा फुदका (Brown Plant Hopper – BPH)। फसल की बढ़वार के समय इस कीट का प्रकोप बढ़ जाता है | यह कीट यदि समय रहते नियंत्रित न किया जाए तो पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है।

भूरा फुदका (Brown Plant Hopper) की पहचान
भूरा फुदका आकार में छोटा (लगभग 3-4 मि.मी.) और हल्के भूरे रंग का कीट होता है। यह धान के पौधों के तनों के निचले हिस्से और पत्तियों की डंडी (leaf sheath) पर चिपककर पौधे का रस चूसता है। यह कीट अक्सर पौधों के बीच में छिपकर रहता है, इसलिए शुरुआत में इसे पहचानना मुश्किल होता है। नर और मादा दोनों पंखों वाले होते हैं और तेजी से प्रजनन करते हैं। खेत में जब यह ज्यादा संख्या में दिखाई दें तो पौधों के चारों ओर हल्की गुनगुनाहट जैसी आवाज महसूस हो सकती है। धान के खेत में अन्दर जाकर ध्यान से देखने पर वहां छोटे भूरे कीट गुच्छों में दिखाई दें तो समझें कि यह भूरे फुदके का प्रकोप है।
भूरा फुदका कैसे नुकसान पहुँचाता है ?
भूरा फुदका कीट धान की फसल को कई तरह से नुकसान पहुँचाता है जैसे-
- रस चूसना –
यह कीट पौधों की जड़ और तने से रस चूसकर उन्हें कमजोर बना देता है। - हॉपर बर्न (Hopper Burn) –
जब इनकी संख्या ज्यादा हो जाती है तो यह बहुत तेजी से पुरे खेत में फैलकर पौधे पर आक्रमण करते हैं,जिससे पौधे झुलस जाते हैं और भूरे रंग के होकर सूख जाते हैं। इसे ही हॉपर बर्न कहा जाता है। - पैदावार में भारी कमी –
- पौधों की पत्तियाँ पीली होकर मुरझा जाती हैं।
- धान की बालियाँ सही से नहीं भरतीं।
- कई बार पूरा खेत सूखकर बंजर जैसा हो जाता है।
- तेजी से फैलाव –
भूरा फुदका बहुत तेजी से प्रजनन करता है। एक मादा 300-400 अंडे देती है, जो कुछ ही दिनों में निकल आते हैं। इसलिए यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए तो प्रकोप पूरे खेत में फैल जाता है।
धान में भूरा फुदका की पहचान के लक्षण
पौधों की पत्तियाँ पीली होकर नीचे की ओर मुड़ने लगती हैं। पौधे का निचला हिस्सा चिपचिपा सा महसूस होता है। खेत में कुछ जगह के पौधे एक साथ सूखकर झुलस जाते हैं, और गोल या लम्बे धब्बे बन जाते हैं। गंभीर प्रकोप में खेत का बड़ा हिस्सा भूरा और सूखा हुआ दिखाई देता है। खेत पूरी तरह से पुआल के जैसे दिखने लगता है |
भूरा फुदका का नियंत्रण
इस कीट से बचाव और नियंत्रण के लिए किसान भाई एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) अपनाएँ। इसमें कृषि, जैविक और रासायनिक सभी उपाय शामिल होते हैं।
1. कृषि नियंत्रण उपाय
- जल प्रबंधन करें –
खेत में लगातार पानी नहीं लगाना चाहिए और न ही जलभराव करना चाहिए | सिंचाई करने के लिए खेत को 1-2 दिन सूखा करके करना चाहिए | - नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग न करें –
यूरिया या अन्य नाइट्रोजन उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग करने से पौधे में अधिक हरापन आता है और हरेपन की वजह से कीट तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए | - रोपाई का सही समय चुनें –
जल्दी या देर से रोपाई करने से कीट का प्रकोप ज्यादा हो सकता है। हमेशा अनुशंसित समय पर ही रोपाई करें। - फसल की निगरानी करें –
खेत की 7-10 दिन पर जांच करें और शुरुआती अवस्था में ही कीट का प्रकोप पहचानें। - प्रतिरोधी किस्में अपनाएँ –
ऐसी धान की किस्में लगाएँ जिन पर भूरा फुदका कम असर करता है।
2. जैविक नियंत्रण उपाय
- प्राकृतिक शत्रु कीटों को बचाएँ –
- मकड़ी, गोकुल कीट (Mirid bug), और शिकारी बीटल भूरा फुदका कीट को खाते हैं।
- खेत में अनावश्यक रसायनों का छिड़काव न करें ताकि ये लाभकारी कीट नष्ट न हों।
- नीम आधारित उत्पाद –
नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) या नीम की खली का प्रयोग करके कीटों की संख्या कम की जा सकती है।
3. रासायनिक नियंत्रण उपाय
जब कीट की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाए और फसल को भारी नुकसान हो रहा हो, तभी रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए | कीटनाशक के प्रयोग से पहले खेत का सारा पानी निकाल देना चाहिए |
- (i) पायमेट्रोजिन 45%+ डायनोटिफ़्यूरान15 WG का 130 gm/ एकड़ ।
(ii) डायनोटीफ़्यूरान 4% + एसीफेट 50%WP का 200 @ gm/ एकड़।
(iii) फ्लोनिकामिड 50%WG @ 60 gm/ एकड़।
(iv) फिप्रोनिल 0.3% GR
@ 8kg / एकड़
(v) क्लोरेंट्रानिलीर्प्रोल 0.4%G का 4 kg/ एकड़ प्रयोग करें।
नोट: छिड़काव पौधों के निचले भाग में करना ज्यादा लाभप्रद रहता है। प्रति एकड 200 ली पानी का प्रयोग करें।
किसान भाइयों के लिए विशेष सुझाव
- खेत में पीला ट्रैप (Yellow Sticky Trap) लगाएँ, इससे कीटों की संख्या का पता चलता है।
- संतुलित उर्वरक प्रबंधन करें, केवल नाइट्रोजन ही नहीं बल्कि पोटाश और फास्फोरस का भी प्रयोग करें।
- फसल में अधिक घनत्व (too close planting) से बचें।
- रासायनिक दवाओं का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में ही करें।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. भूरा फुदका किस मौसम में ज्यादा होता है ?
यह कीट सामान्यत: खरीफ धान में अधिक दिखाई देता है, विशेषकर जब खेत में लगातार पानी भरा रहता है।
Q2. भूरा फुदका की पहचान कैसे करें ?
यह भूरे रंग का छोटा कीट पौधे के निचले हिस्से में दिखाई देता है और पौधे के रस को चूसता है।
Q3. क्या केवल दवाओं से इसका नियंत्रण संभव है ?
यदि भूरे फुदके कीट का प्रकोप अधिक होता है तो इसे दवा से कंट्रोल कर सकते हैं |
Q4. भूरा फुदका से धान की पैदावार कितनी घट सकती है ?
गंभीर प्रकोप में पैदावार 50-70% तक घट सकती है |