लहसुन की खेती कैसे करें पूरी जानकारी: Lahsun ki kheti kaise karen

वैज्ञानिक नाम :- एलियम सैटिवम (Allium sativum), फैमिली :- एलिएसी

भारत में लहसुन (Garlic) मसाले और औषधि दोनों रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय पकवानों में भी लहसुन की एक महत्वपूर्ण भूमिका है,जो खाने का स्वाद बढ़ा देती है | इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है, जिससे किसान भाई लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। अगर आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको लहसुन की खेती कैसे करें पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे।


लहसुन की खेती में कैसे जलवायु और तापमान चाहिए

लहसुन की खेती ठंडी और शुष्क जलवायु में अच्छी होती है। बुवाई के समय हल्की ठंड और फसल पकने के समय गर्म व शुष्क मौसम लाभकारी रहता है। तापमान 15°C से 25°C लहसुन के लिए उत्तम होता है।

मिट्टी का चयन

बलुई दोमट मिट्टी जिसमें अच्छी जलनिकासी हो, सबसे बेहतर रहती है। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए। खेत की गहरी जुताई करके, फिर 2-3 बार कल्टीवेटर चला कर मिटटी को अच्छी तरह से भुरभुरी कर लेना चाहिए | उसमें गोबर की सड़ी हुई खाद (FYM) डालना जरूरी है या फिर केचुआ खाद का प्रयोग कर सकते हैं | खेत की तैयारी के समय खाद को सभी जगह बिखेर कर अच्छी तरीके से मिट्टी में मिला देना चाहिए |

लहसुन की बुवाई का सही समय

उत्तर भारत में लहसुन की बुवाई अक्टूबर से नवंबर में की जाती है। दक्षिण भारत में इसकी बुवाई सितंबर से अक्टूबर तक हो सकती है। लहसुन के बीज के रूप में कलियां (Cloves) प्रयोग की जाती हैं। अच्छी क्वालिटी की, आकार में बड़ी और रोगमुक्त कलियां बीज के लिए उपर्युक्त माना जाता है |

बीज दर एवं बुवाई की विधि

500-600 kg/ha. बीज पर्याप्त होता है | बीज को 15 *10 से.मी. की दूरी पर बोना चाहिए | बीज की गहराई 2-3 से.मी. पर बोना चाहिए |

लहसुन की उन्नत किस्म (Variety)

ऊटी-1 :- यह जर्मप्लाज्म के द्वारा विकसित किस्म है, जिसकी अवधि 120-130 दिन की होती है | लहसुन के बल्ब का आकार 30-40 ग्राम का होता है | थ्रिप्स कीट और टिप सूखने के प्रति सहनशील होती है |

ऊटी-2 :- यह 2019 की रिलीज़ वैरायटी है |

ICAR द्वारा विकसित:- भीमा ओमकार, भीमा पर्पल

NHRDF द्वारा विकसित :- agrifound white, यमुना सफ़ेद, यमुना सफ़ेद-2,यमुना सफ़ेद-3

अन्य वैरायटी- सिंगापुर रेड, मद्रासी,गोदावरी, स्वेता,फुले वसंत, vl लहसुन-2

खाद और उर्वरक

खेत तैयार करते समय 30-40 टन गोबर की खाद डालना चाहिए | azospirillum 2 kg, फोस्फोबक्टेरिया 2 kg प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए | NPK 40:75:75 kg/ha की दर से प्रयोग करना चाहिए | बुवाई के 45 दिन बाद 35 kg नाइट्रोजन बेसल डोज के रूप में उपयोग करना चाहिए |

लहसुन की खेती में सिंचाई प्रबंधन

पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। इसके बाद 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फसल पकने के समय सिंचाई बंद कर दें, इससे गांठ मजबूत बनती है।

पौध संरक्षण

कीट :
थ्रिप्स : यह कीट पत्तियों का रस चूसता है | जिससे पत्तियां नीचे की ओर मुड जाती है और पीली पड़ने लग जाती है |
इसके रोकथाम के लिए मिथाइल डेमाटोंन 25 EC 1 ml/lit. पानी में उपयोग करना चाहिए |

नेमाटोड : इसके रोकथाम के लिए कार्बोफुरान 3 G 1 kg a.i./ha बुवाई के 30 दिन बाद उपयोग करना चाहिए |

अन्य कीट – लीफ माइनर, तना छेदक, माहू

रोग :
कलियों का सड़ना (Clove rot) :- बुवाई के पहले बीज उपचार करें carbendazim 2 g/kg

लहसुन में भौतिक विकार (Physiological Disorder)

लहसुन की खेती करते समय कई बार पौधों में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जो किसी रोग (Disease) या कीट (Insect) के कारण नहीं होते, बल्कि यह पर्यावरणीय असंतुलन, पोषक तत्वों की कमी, असमय सिंचाई, तापमान या नमी की गड़बड़ी से उत्पन्न होते हैं। इन्हें फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर कहा जाता है।

लहसुन के प्रमुख Physiological disorder

1. डबल क्लोव (Double Clove Formation)

  • कई बार एक जगह पर दो कलियाँ (Cloves) बनने लगती हैं।
  • कारण: अत्यधिक नाइट्रोजन का प्रयोग, असमय बुवाई या अधिक सिंचाई।
  • समाधान: संतुलित उर्वरक प्रयोग करें और समय पर बुवाई करें।

2. बल्ब का छोटा आकार (Small Bulb Size)

  • लहसुन की गांठें छोटी रह जाती हैं।
  • कारण: पोषक तत्वों की कमी, देर से बुवाई, पानी की कमी।
  • समाधान: समय पर बुवाई करें, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें।

3. बल्ब का फटना (Bulb Splitting)

  • गांठें बीच से फट जाती हैं।
  • कारण: ज्यादा नमी, कटाई से पहले अधिक सिंचाई।
  • समाधान: फसल पकने के समय सिंचाई बंद करें।

4. पत्तियों का पीला पड़ना (Leaf Yellowing)

  • पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और समय से पहले सूख जाती हैं।
  • कारण: नाइट्रोजन की कमी या पानी की कमी।
  • समाधान: समय-समय पर नाइट्रोजन की खुराक दें और नियमित सिंचाई करें।

5. समय से पहले अंकुरण (Premature Sprouting)

  • भंडारण के दौरान कलियाँ अंकुरित हो जाती हैं।
  • कारण: अधिक नमी और ज्यादा तापमान।
  • समाधान: भंडारण ठंडी और सूखी जगह पर करें।

6. गार्लिक बॉल (Garlic Ball Formation)

  • लहसुन की गांठ में कलियाँ नहीं बनतीं, बल्कि गोल आकार का बल्ब बन जाता है।
  • कारण: अधिक तापमान, गलत बुवाई समय।
  • समाधान: सही समय पर बुवाई करें और तापमान का ध्यान रखें।
Physiological Disorder in Garlic Crop, लहसुन की फसल के भौतिक विकार,लहसुन के फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर


फसल की कटाई और भंडारण

  • लहसुन की फसल बुवाई के 4-5 महीने बाद तैयार हो जाती है।
  • जब पत्तियां पीली पड़ने लगें तो फसल की कटाई करें।
  • कटाई के बाद गांठों को छांव में सुखाकर 3-4 हफ्ते तक स्टोर करें।
  • भंडारण के लिए ठंडी और सूखी जगह का चयन करें।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. लहसुन की बुवाई कब करनी चाहिए?
अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त है।

Q2. लहसुन की खेती में कितने महीने लगते हैं?
लगभग 4-5 महीने में फसल तैयार हो जाती है।

Q3. लहसुन की औसत पैदावार कितनी होती है?
प्रति हेक्टेयर 80-100 क्विंटल तक उपज मिलती है।

Q4. लहसुन की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है?
बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जलनिकासी अच्छी हो।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
JoinButtons.txt Displaying JoinButtons.txt.

Leave a Comment