प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना / Pradhan mantri Dhan-Dhanya Krishi Yojna

कृषि का नवविकास- प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के साथ

भारत सरकार द्वारा देश के किसानों को मिली है खेती की नई सौगात | प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के माध्यम से लघु एवं सीमान्त किसानो को खेती में उत्पादन बढ़ने के लिए सरकार द्वारा एक मुहीम चलाई जा रही है |

तो किसान भाइयों आइये जानते हैं विस्तार से इस योजना के बारे में –

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) –

घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को बजट में इसकी घोषणा की थी | जिसका उद्देश्य भारत के 100 जिलों का समग्र विकास करना जोकि किसी कारणवश पीछे रह गएँ हैं | जिसके लिए सरकार 24 हज़ार करोड़ प्रतिवर्ष खर्च करेगी |

इस योजना की आवश्यकता क्यूँ पड़ी ?

  • फसलों की उत्पादकता बहुत कम होने के कारण |
  • फसल सघनता (Cropping intesity) औसत से कम होने के कारण |
  • किसानों को ऋण की सुविधा ठीक ढंग से न मिलने के कारण |

किन जिलों को शामिल किया जायेगा ?

  • जिन जिलों की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर कम हैं |
  • जिन जिलों में साल में केवल एक या दो फसलें ली जाती है |
  • किसानों को बैंक से लोन पर्याप्त न मिल पाना |

योजना की लागत एवं अवधी -

  • वार्षिक खर्च 24 हज़ार करोड़ प्रति वर्ष |
  • कुल अवधि 6 साल तक (2025-26 से 2030- 31 तक ) |
  • कुल अनुमानित खर्च 1.44  लाख करोड़ रहेगा | 

योजना कैसे लागू होगी ?

योजना लागू करने के लिए समिति का गठन किया जायेगा |

जिसकी अध्यक्ष जिलाधिकारी (कलेक्टर) करेंगी |

सदस्य के रूप में जिले के प्रगतिशील किसान , कृषि अधिकारी, कृषि महाविद्यालय के विशेषज्ञ रहेंगे |

नोट : – इस योजना के लिए हर गतिविधि के लिए अलग योजना हो सकती है, क्यूंकि हर जिले की अपनी – अपनी आवश्सेयकता है | 

किन योजनाओ का समंवेश होगा ?

इसमें कुल 36 योजनाओ को शामिल किया जायेगा | जोकि 11 मंत्रालय द्वारा चलायी जाती हैं |

उदाहरण के लिए –

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना 
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 
  • पशुपालन विभाग की योजनायें 
  • मत्स्यपालन विभाग की योजनायें 
  • एकीकृत बागवानी विकाश योजना   

इस तरह की योजनाओ का क्रियान्वयन एक साथ करके इस योजना को लागु किया जायेगा |

PM धन धान्य योजना के उद्देश्य -

कृषि उत्पादकता बढ़ाना – अच्छे बीज, नई तकनीक,संतुलित उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करना |

फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना -अनाज वाली फसलों (गेहूं, चावल) की जगह दलहनी फसल,तिलहनी फसल,मोटे अनाज (कोदो,कुटकी,जौ,रागी) जैसे अनाजो को बढ़ावा देना |

भण्डारण सुविधा बढ़ाना- हर पंचायत एवं ब्लाक स्तर पर भण्डारण गोदाम और कोल्ड स्टोरेज का निर्माण करना |

सिंचाई की सुविधा बढ़ाना – स्प्रिंकलर , ड्रिप सिंचाई के माध्यम से जल की उपोगता को बढ़ावा देना |

योजना के सम्भावित परिणाम -

  • कृषि उत्पादकता एवं आय मे वृद्धि होगी |
  • कृषि में निवेश बढेगा |
  • ग्रामीण रोजगार में बढ़ोतरी होगी |
  • कृषि से जुडी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा |
  • आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में मदद होगी |

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