1. भूमिका (Introduction)
भारत में कृषि का महत्व सदियों से रहा है, लेकिन आज के दौर में बढ़ते रसायन और कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी, पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। ऐसे में जैविक खेती के सवालों का महत्व बढ़ गया है। जैविक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है, जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन और दीर्घकालिक कृषि उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करती है।
आज हम आपको बताएँगे कि, जैविक खेती कैसे पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों से खेती को सुरक्षित और लाभदायक बना रही है, और इसके माध्यम से हम कैसे एक स्वस्थ पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

2. जैविक खेती क्या है? (What is Organic Farming?)
जैविक खेती में, किसानों को न केवल अपने फसलों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होता है, बल्कि उन्हें यह भी समझना होता है कि उनके द्वारा किए गए कार्यों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह एक समग्र दृष्टिकोण है, जो न केवल खेती की तकनीक को समाहित करता है, बल्कि किसानों के स्वास्थ और उनके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र को भी ध्यान में रखता है। जैविक खेती में एक जटिल नेटवर्क होता है जहां फसलें, मिट्टी, जलवायु और जीव-जंतु सभी मिलकर एक संतुलित और टिकाऊ प्रणाली का निर्माण करते हैं।
जैविक खेती क्या है इसका सीधा उत्तर है – ऐसी खेती जिसमें रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, हानिकारक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए, यदि एक किसान पारंपरिक तरीकों का उपयोग करता है, तो वह गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम तेल, और हरी खाद का उपयोग करके अच्छी फसलें उगाता है। यह प्रक्रिया न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि स्वस्थ और सुरक्षित अन्न उत्पादन करने का भी कार्य करती है। जैविक खेती का उद्देश्य केवल उत्पादकता नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे खाद्य प्रणाली का निर्माण करना है जो पर्यावरण के अनुकूल हो।
3. जैविक खेती के प्रमुख सिद्धांत (Core Principles of Organic Farming)
- रासायनिक मुक्त खेती:- जैविक खेती रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को पूरी तरह नकारती है।
- प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना:- जैविक खेती में जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने पर ज़ोर दिया जाता है।
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना:- फसल चक्र, मल्चिंग, और हरी खाद जैसे तरीकों से मिट्टी को जीवित और उर्वर बनाया जाता है।
- स्थायित्व और पुनर्नवीनीकरण:- जो भी उपयोग हो रहा है, वह प्रकृति से ही लिया गया और प्रकृति में वापस जा सके — यही इसका मूल उद्देश्य है।
4. जैविक खेती में उपयोग होने वाली तकनीकें (Techniques Used in Organic Farming)
- वर्मी कम्पोस्टिंग: केंचुओं की मदद से जैविक खाद तैयार करना।
- पंचगव्य और जीवामृत: देसी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी से बना एक प्राकृतिक टॉनिक जो फसल को पोषण देता है।
- हरी खाद: खेतों में कुछ विशेष फसलें(जैसे सनई, ढेंचा आदि) उगाकर उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- जैविक कीट नियंत्रण: नीम तेल , लहसुन, मिर्च आदि से बने जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।

5. जैविक खेती के लाभ (Benefits of Organic Farming)
एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि जैविक खेतों में खाद्य पदार्थों की पोषण तत्वों की मात्रा अधिक होती है, क्योंकि वे प्राकृतिक तरीकों से उगाए जाते हैं। जैविक खेती के सकारात्मक प्रभावों में से एक यह भी है कि यह स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाती है, क्योंकि जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग स्थानीय किसानों के लिए नए बाजारों का निर्माण करती है। इस प्रकार, जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी विकास को बढ़ावा देती है।
- स्वस्थ उपज: रसायन मुक्त खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं।
- मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है: जैविक तकनीकों से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है जो फसलों को बेहतर बनाते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: जल स्रोत, हवा और जमीन रासायनिक प्रदूषण से बचते हैं।
- अच्छा बाजार मूल्य: जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है जिससे किसान को अधिक लाभ मिलता है।
6. जैविक खेती के लिए जरूरी सावधानियाँ (Precautions & Challenges)
- प्रारंभिक प्रशिक्षण: जैविक खेती करने से पहले किसानों को इसके तरीकों की जानकारी जरूरी है।
- प्रमाणन प्रक्रिया (Certification): जैविक उत्पादों को बाजार में बेचने से पहले उन्हें “Organic Certified” करवाना आवश्यक होता है।
- उपज में समय: शुरुआत में उत्पादन कम हो सकता है, पर समय के साथ गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती है।
7. सरकार द्वारा चलायी जा रही प्रमुख जैविक खेती योजनाएँ
- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): किसानों को जैविक खेती के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NMSA): जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से बनाई गई योजना।
- स्थानीय जैविक मंडियाँ: सरकार द्वारा जैविक उत्पादों के विपणन के लिए मंडियाँ और पोर्टल बनाए जा रहे हैं।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
आज जब पूरी दुनिया स्वास्थ्य और पर्यावरण की चिंता कर रही है, ऐसे समय में जैविक खेती क्या है का उत्तर हर किसान और उपभोक्ता के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। जैविक खेती सिर्फ एक तरीका नहीं, बल्कि एक विचार है — जो धरती, किसान और उपभोक्ता तीनों के हित में है। जैविक खेती का अर्थ केवल खाद्य उत्पादन नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण की रक्षा और हमारे स्वास्थ्य के लिए एक नई दृष्टि प्रदान करती है। समय है कि हम इस क्रांतिकारी तकनीक को अपनाएँ और टिकाऊ खेती की ओर कदम बढ़ाएँ।
जैविक खेती के प्रकार: जानिए प्राकृतिक खेती को-
इसके अलावा, जैविक खेती जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी मदद करती है। जैविक प्रथाएं मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर करने और जल संरक्षण में मदद करती हैं, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में, जैविक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं, बल्कि एक सतत विकास के लिए एक दृष्टिकोण है।
सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करना और उनकी आय में वृद्धि करना है। इस दिशा में कई पहल की गई हैं, जैसे कि जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना। इससे किसानों को अपने उत्पादों का सही मूल्य मिल रहा है, और वे जैविक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
FAQ:-
1. जैविक खेती में कौन-कौन से उर्वरक उपयोग किए जाते हैं ?
जैविक खेती में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, नीम की खली, हड्डी की खाद और जैविक तरल खादों का प्रयोग किया जाता है।
2. जैविक खेती के फायदे क्या हैं ?
मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है, पर्यावरण को नुकसान नहीं होता, किसान को प्रीमियम मूल्य मिलता है
3. जैविक खेती में कीट एवं रोग नियंत्रण कैसे किया जाता है ?
प्राकृतिक कीटनाशकों (जैसे नीम का अर्क, दशपर्णी अर्क, छाछ घोल) और जैविक नियंत्रण विधियों (ट्राइकोडर्मा, बैसिलस) का उपयोग किया जाता है।
4. क्या जैविक खेती में उत्पादन कम होता है ?
शुरुआती 2-3 वर्षों में उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन समय के साथ मिट्टी की सेहत सुधरने पर उत्पादन स्थिर और बेहतर हो जाता है।
5. जैविक खेती के लिए प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त किया जाता है ?
भारत में जैविक खेती का प्रमाणन NPOP (National Programme for Organic Production) या PGS-India (Participatory Guarantee System) के माध्यम से किया जाता है।
6. जैविक खेती में लागत ज्यादा आती है या कम ?
लागत शुरू में थोड़ी ज्यादा हो सकती है क्योंकि जैविक इनपुट्स का उपयोग करना पड़ता है, लेकिन रासायनिक खाद और दवाओं की खरीद न होने से लंबी अवधि में लागत कम हो जाती है।
7. भारत में जैविक खेती के लिए कौन से राज्य प्रसिद्ध हैं ?
सिक्किम, उत्तराखंड, केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र जैविक खेती में अग्रणी राज्य हैं।