उड़द की खेती

जलवायु

उड़द के लिए नाम एवं गर्म मौसम की आवश्यकता पड़ती है जिले की जलवायु उड़द के लिए अति उत्तम है उड़द की खरीफ एवं ग्रीष्मकालीन खेती की जा सकती है|

भूमि का चुनाव एवं तैयारी

हल्की रेतीली दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि जिसमें पानी का निकास अच्छा हो उड़द के लिए अधिक उपयुक्त होती है वर्षा आरंभ होने के बाद दो तीन बार हाल या बकर चला कर खेत को समतल करें और वर्ष आरंभ होने के पहले बनी करने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है|

किस्म

पकने का समय

औसत पैदावार (Q/h.)

अन्य

I.P.U 94-1

85-90

11-12

पीला विषाणु रोग प्रतिरोधी

P.D.U.-1 (बसंत बहार )

70-80

12-13

पीला मोज़ेक रोग प्रतिरोधी

जवाहर उर्द -3

70 -75

10-11

बीज मध्यम छोटा चमकीला काला , ताने पर ही फल्लियाँ पास-पास गुच्छों में लगती है |

बीज दर एवं बीज उपचार

6-8 कि./ए. ,10 ग्राम राइजोबियम कल्चर प्रति किलोग्राम बीज  

बुवाई का समय एवं विधि

उर्द की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह में करनी चाहिए | कतारों की दूरी 30 से.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 10 से.मी.रखनी चाहिए तथा बीज को 4 से 6 से.मी की गहराई पर बोना चाहिए |

खरपतवार नियंत्रण

पेंडामिथाइलिन 1 कि .ग्रा./है. रसायन को 500 ली.पानी में घोलकर बुवाई के एक दो दिन के बाद छिडकाव करें |

खाद एवं उर्वरक की मात्रा

नाइट्रोजन 8 से 12 किलोग्राम व सल्फर 20 से 24 किलोग्राम पोटाश 10 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से बुवाई के साथ देना चाहिए विशेषता गंधक की कमी वाले क्षेत्र में 8 किलोग्राम गंधक प्रति एकड़ गंधक युक्त उर्वरकों के माध्यम से देना चाहिए |

 

सिंचाई

उड़द में फूल आने की अवस्था एवं दान भरने के समय खेत में यदि नमी न हो तो हल्की  सिंचाई करनी चाहिए |

फसल सुरक्षा

कीट का नाम : तंबाकू की इल्ली ,फली भेदक ,बिहार रोमिल,फली भृंग एवं अन्य इल्लियाँ को को नियंत्रण करने के लिए क्विनालफास 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी , 500 लीटर प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए |

सफ़ेद मक्खी और हरा फुदका के लिए डाईमिथोएट  30 ई.सी. 2 मि.ली.मात्रा प्रति लीटर पानी ,500 लीटर प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए | 

रोग प्रबंधन

पीला चितकबरा रोग में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु मिथाइल  डेमाटान 25 इ.सी. 2  मि.ली. प्रति लीटर पानी में कली बनने से पहले छिड़काव करना चाहिए |

झुर्रीदार पत्ती रोग, मोजैक मोटेल, पर्ण कुंचन आदि रोगों के नियंत्रण हेतु Imidacloprid 5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार तथा बुवाई के 15 दिन के बाद 0.25 मि.ली. प्रति लीटर से इन रोगों के रोग वाहक कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है |

चूर्णी कवक रोग के लिए सल्फर 3 किलोग्राम पाउडर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए |

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