धान की फसल भारत देश की मुख्य अनाज फसल है। लाखों किसान धान की खेती करते हैं और यही उनकी आजीविका का आधार है। लेकिन अक्सर किसानों को यह शिकायत रहती है कि धान की फसल पकने से पहले ही गिर जाती है (lodging)। यह समस्या किसानों की मेहनत और लागत दोनों को बेकार कर देती है।
फसल गिरने से पैदावार कम हो जाती है, दाने सही से नहीं भरते, कटाई कठिन हो जाती है और कुल मिलाकर नुकसान ही नुकसान होता है।
अब सवाल यह है कि आखिर धान की फसल क्यों गिरती है ? तो आइए विस्तार से जानते हैं।

धान की फसल गिरने (lodging) के मुख्य कारण–
1. अधिक नाइट्रोजन (यूरिया) का प्रयोग करना
धान की फसल को किसान अक्सर ज्यादा हरा-भरा और घना करने के लिए बार-बार यूरिया डालते हैं।
- लेकिन जब नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पौधे बहुत जल्दी लंबे हो जाते हैं।
- पौधे का तना मोटा और मजबूत बनने के बजाय पतला और कमजोर रह जाता है।
- ऐसे पौधे हवा या बारिश सहन नहीं कर पाते और आसानी से गिर जाते हैं।
किसान भाई फसल का सिर्फ हरा-भरा दिखने से पैदावार ज्यादा नहीं होती, बल्कि संतुलित पोषण जरूरी है।
2. पौधों की अधिक घनत्व (भीड़)
अगर रोपाई के समय पौधों को उचित दूरी पर नहीं लगाया गया है, तो पौधे एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए लंबाई में तेजी से बढ़ते हैं।
- इस दौरान तना कमजोर रह जाता है।
- पौधे घना होने से सूर्य की रोशनी और हवा सही से पौधे के सभी भागों में नहीं पहुँचती।
- परिणामस्वरूप पौधे कमजोर होकर आसानी से गिर जाते हैं।
3. तेज हवा और भारी बारिश
बरसात या आंधी-तूफान आने पर कमजोर पौधे सबसे पहले गिरते हैं।
- खासकर जब पौधा पहले से ही बहुत ऊँचा और पतला हो तो यह समस्या और बढ़ जाती है।
- पानी जमा होने से मिट्टी ढीली हो जाती है और पौधे की जड़- पकड़ कमजोर हो जाती है।
4. अत्यधिक सिंचाई और जलभराव
धान की खेती में पानी की ज्यादा जरुरत होती है, लेकिन लगातार पानी भरे रहने से मिट्टी बहुत मुलायम हो जाती है।
- ऐसे में पौधे की जड़ें गहराई से पकड़ नहीं बना पातीं है।
- जब हवा या बारिश होती है, तो पौधा जड़ों समेत झुककर गिर जाता है।
5. किस्म (Variety) का चयन
धान की लम्बी किस्में (Tall Varieties) जल्दी गिर जाती हैं, क्योंकि उनका तना पतला और लंबा होता है।
- मध्यम कद और बौनी किस्में अपेक्षाकृत मजबूत होती हैं।
- अगर किसान भाई अपने क्षेत्र के हिसाब से सही किस्म नहीं चुनते तो फसल गिरने की संभावना ज्यादा रहती है।
6. मिट्टी की उर्वरता और प्रबंधन
बहुत उपजाऊ मिट्टी में भी यदि नाइट्रोजन का प्रयोग अधिक हो जाए तो पौधे बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं।
- मिट्टी में पोटाश की कमी होने पर तना कमजोर रह जाता है।
- इसलिए मिट्टी की जांच करवाए बिना खाद डालना भी फसल गिरने का कारण है।
7. कीट और रोग का प्रकोप
कभी-कभी तना छेदक जैसे कीट या फफूंद जनित रोग पौधों के तने को कमजोर कर देते हैं।
- इससे पौधे मजबूत नहीं बनते और हल्की हवा या बारिश से गिर जाते हैं।
० फसल गिरने से होने वाले नुकसान
धान की फसल गिरने से किसान भाइयों को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं जैसे-
- उत्पादन में कमी
- गिरे हुए पौधों में दाने पूरी तरह नहीं भरते हैं।
- व्हाइट ईयर जैसी समस्या बढ़ जाती है।
- कटाई और गहाई में दिक्कत
- हरी फसल जब गिर जाती है, तो काटना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- मशीन से कटाई करना लगभग असंभव हो जाता है।
- गुणवत्ता में कमी
- गिरी हुई फसल में नमी ज्यादा रहती है, जिससे दाने की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- दानों का वजन भी हल्का हो जाता है।
- रोग और कीटों का खतरा
- गिरी हुई फसल में हवा और धूप कम पहुँचती है।
- इससे फफूंद और कीट तेजी से पनपने लगते हैं।
धान की फसल गिरने से बचाव के उपाय
अब जानते हैं कि इस समस्या से किसान भाई कैसे बच सकते हैं।
1. खाद का संतुलित प्रयोग करें–
- सिर्फ यूरिया पर निर्भर न रहें।
- फसल को संतुलित पोषण दें – नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K), जिंक और सल्फर(S)।
- खासकर पोटाश पौधों का तना मजबूत बनाता है।
- मिट्टी परीक्षण जरूर कराएँ और उसके हिसाब से ही खाद डालें।
- अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्में ही लगाएँ।
- मध्यम कद या बौनी किस्में (Semi Dwarf Varieties) ज्यादा सुरक्षित रहती हैं।
- रिसर्च संस्थानों द्वारा विकसित नई किस्में गिरने की समस्या को कम करती हैं।
3. उचित दूरी पर रोपाई करें
- पौधों को पास-पास लगाने से बचें।
- 20 x 15 सेमी या 20 x 20 सेमी. की दूरी पर रोपाई करें।
- उचित दूरी पर पौधे लगाने से तना मजबूत होता है, और हवा-पानी का प्रवाह भी अच्छा रहता है।
4. सिंचाई का सही प्रबंधन करें
- खेत में लगातार ज्यादा पानी भरे रहने से बचें।
- समय-समय पर खेत को सूखा करना जरूरी है, ताकि पौधे की जड़ें गहराई तक जाएँ।
- यह तरीका पौधे को मजबूत बनाता है और फसल गिरने की संभावना को कम करता है।
5. कीट और रोग नियंत्रण करें
- तना छेदक और फफूंद जनित रोगों पर समय रहते नियंत्रण करें।
- जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों का संतुलित उपयोग करें।
- स्वस्थ पौधे ज्यादा मजबूत रहते हैं और आसानी से नहीं गिरते हैं।
6. समय पर बुवाई और कटाई
- देरी से बुवाई करने पर पौधे जल्दी लंबे हो जाते हैं और फसल गिरने की संभावना बढ़ जाती है।
- इसलिए बुवाई और कटाई समय पर करें।
7. खेत की तैयारी
गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
- समतल खेत में पानी का सही वितरण होता है।
- इससे जलभराव की समस्या नहीं आती और पौधों की जड़ें मजबूत रहती हैं।
अतिरिक्त सुझाव किसान भाइयों के लिए
- खेत का निरीक्षण करते रहें
- समय-समय पर खेत का चक्कर लगाएँ।
- अगर कहीं पौधे झुकने या गिरने लगें तो तुरंत कारण पहचानें।
- फसल को सहारा देना
- छोटे खेतों में फसल को रस्सी या बाँस का सहारा दिया जा सकता है।
- बड़े खेतों में यह संभव नहीं, इसलिए संतुलित पोषण और प्रबंधन ही सबसे अच्छा उपाय है।
- मिट्टी की जाँच करवाएँ
- हर 2-3 साल में खेत की मिट्टी की जांच करवाएँ।
- इससे आपको पता चलेगा कि आपकी मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व ज्यादा है और कौन सा कम।
निष्कर्ष
धान की फसल गिरने (lodging) की समस्या आम है, लेकिन यह रोकी जा सकती है।
इसका सबसे बड़ा कारण है – ज्यादा नाइट्रोजन का प्रयोग और गलत प्रबंधन।
यदि किसान भाई खाद का संतुलित उपयोग करें, सही किस्म चुनें, पौधों को उचित दूरी पर लगाएँ और सिंचाई का ध्यान रखें तो इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।
याद रखिए:-
मजबूत तना = मजबूत फसल = ज्यादा पैदावार
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