आज के दौर में भारतीय कृषि नई दिशा में आगे बढ़ रही है। अब खेती केवल अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं रही, बल्कि बागवानी फसलों के जरिये किसानों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का नया द्वार खुल रहा है। भारत सरकार के कृषि कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) ने इस दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल की है | हॉर्टिकल्चर क्लस्टर विकास कार्यक्रम, जो किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में ठोस कदम साबित हो रहा है।
कार्यक्रम का उद्देश्य | हॉर्टिकल्चर क्लस्टर विकास कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बागवानी फसलों के गुणवत्ता सुधार, मूल्य संवर्धन और विपणन को सशक्त बनाकर किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है। इसके तहत ऐसे क्षेत्रों में हाई-वैल्यू क्लस्टर और पैरी-अर्बन क्लस्टर बनाए जा रहे हैं, जहाँ बागवानी उत्पादों की क्षमता अधिक है।
चयनित फसलें
कार्यक्रम के अंतर्गत कई प्रमुख बागवानी फसलों को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही वैकल्पिक फसलों को भी जगह दी गई है ताकि किसान अपनी खेती को विविधता दे सकें।
मुख्य बागवानी फसलें:–
- टमाटर
- आलू
- प्याज
- पत्तागोभी
- फूलगोभी
- भिंडी
- बैंगन
- कद्दूवर्गीय फसलें
- बीन्स
- नींबू वर्गीय फल
वैकल्पिक फसलें:–
- स्क्वैश
- कटहल
- सुरजना (मुनगा)
- चुकंदर
- मूली
इन फसलों के समूह निर्माण से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि फसल आधारित मूल्य शृंखला भी सुदृढ़ होगी।
कार्यक्रम का लाभ और क्रियान्वयन एजेंसियां
इस योजना में कृषक उत्पादक संगठन (FPO/FPC), सहकारी समितियां और पार्टनरशिप फर्म जैसी संस्थाओं को शामिल किया गया है।
जो संस्थाएं इन क्लस्टर्स के विकास का कार्य करेंगी, उन्हें कुछ विशिष्ट शर्तें पूरी करनी होंगी:
- संस्थान का फार्म गेट वैल्यू ₹100 करोड़ तक होना चाहिए।
- आवेदक संस्था को 20 प्रतिशत राशि स्वयं वहन करनी होगी।
इस तरह, सरकार और किसानों के बीच साझेदारी के रूप में यह योजना सतत विकास की दिशा में मजबूत कदम है।
आवेदन और संपर्क जानकारी | हॉर्टिकल्चर क्लस्टर विकास कार्यक्रम
जो संस्थाएं या कृषक समूह इस योजना में भाग लेना चाहते हैं, वे अधिक जानकारी के लिए निम्न स्थान पर संपर्क कर सकते हैं:
- कार्यालय: सहायक संचालक (उद्यान),
यह योजना न केवल बागवानी क्षेत्र को आधुनिकता की दिशा में ले जाएगी, बल्कि ग्रामीण भारत में रोजगार और स्वावलंबन की नई ऊर्जा का संचार करेगी।
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