
धान की खेती: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका सफल कृषि के लिए-
भारत में धान की खेती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल अन्न का मुख्य स्रोत है, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका का आधार भी है। यदि आप भी धान की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो यहां हम आपको देंगे सम्पूर्ण जानकारी — भूमि की तैयारी से लेकर कटाई तक।
1. भूमि का चयन व तैयारी
भूमि का प्रकार:
धान की खेती के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जलधारण क्षमता अच्छी हो। क्षारीय या बहुत ज्यादा रेतीली मिट्टी में धान की खेती सफल नहीं होती। भूमि का पी.एच.मान 5.5 से 7.5 धान की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है |
भूमि की तैयारी:
- पहली जुताई गहरी करनी चाहिए (पलटी हल या मिट्टी पलटने वाले हल से)।
- इसके बाद 2-3 बार हैरो या देशी हल से जुताई करें।
- पाटा चलाकर भूमि को समतल करें ताकि पानी रुक सके।
- गोबर की खाद को भी सामान रूप से फैला देना चाहिए |
- खेत की मेड़बंदी करें जिससे पानी खेत में रुका रहे।
- 2. बीज का चयन और बीज दर
बीज का चुनाव:
क्षेत्र और जलवायु के अनुसार उन्नत किस्में चुननी चाहिए जैसे:
IR-64, MTU-1010, JR-206, BPT-5204 (सुगंधित)
Swarna, Pusa Basmati, Narendra-97 आदि
बीज दर (प्रति एकड़):
रोपाई विधि से: 6 किलोग्राम
सीधी बुवाई से: 15-20 किलोग्राम
S.R.I. विधि से : 2.5 से 3 किलोग्राम
ट्रांस्प्लान्टर मशीन से : 7-9 किलोग्राम
बीजोपचार:
बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक (जैसे कार्बेन्डाजिम 2-3 ग्राम प्रति किग्रा बीज) से उपचारित करें।
अंकुरण बढ़ाने के लिए बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर 24 घंटे छायादार जगह में रखें।
3. खाद व उर्वरक प्रबंधन
प्राकृतिक खाद:
गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट: 8-10 टन/हेक्टेयर
रासायनिक उर्वरक (प्रति हेक्टेयर):
नाइट्रोजन (N): 100-120 किग्रा
फास्फोरस (P): 50-60 किग्रा
पोटाश (K): 40-50 किग्रा
खाद देने का समय:
- गोबर की खाद बुवाई के पहले / अंतिम पता चलते समय |
- 1/2 नाइट्रोजन, पूरी फास्फोरस और पोटाश की मात्रा रोपाई से पहले दें।
- बाकी नाइट्रोजन को दो हिस्सों में रोपाई के 25 और 50 दिन बाद डालें।
4. रोपाई व बुवाई विधि
- पौधे की रोपाई 18-20 दिन की उम्र में करें।
- रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 20 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखें।
- प्रति स्थान पर 1-2 पौधे पर्याप्त होते है |
मशीन से लगाने के लिए 12 से 14 दिन की पौध पर्याप्त होती है |
5. निंदाई-गुड़ाई
- पहली निंदाई रोपाई के 20-25 दिन बाद करें।
- दूसरी निंदाई 35-40 दिन बाद करें।
- खरपतवार नियंत्रित करने के लिए बायोलॉजिकल या रासायनिक खरपतवारनाशक जैसे बिस्पयरीबैक सोडियम ( नॉमिनी गोल्ड ) का उपयोग करें।
6. सिंचाई प्रबंधन
- रोपाई के बाद पहले 7-10 दिन तक लगातार पानी बनाए रखें।
- फिर, 5 से 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
- धान के फूल आने और दाना बनने की अवस्था में विशेष ध्यान दें — यह समय जल की अधिक आवश्यकता वाला होता है।
- फसल पकने के समय पानी रोक दें ताकि दाना अच्छी तरह से पक जाए।
7. रोग एवं कीट नियंत्रण
ब्लास्ट: कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।
झुलसा रोग: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव।
कीट:
गंधी कीट, तना छेदक, पत्ती लपेटक आदि को नियंत्रित करने के लिए क्लोरपायरीफॉस या क्विनालफॉस का छिड़काव करें।
8. कटाई व उपज
- पौधों की पत्तियां पीली हो जाएं और 80-85% दाने पक जाएं, तब फसल की कटाई करें।
- उपज उन्नत विधियों से 40-60 क्विंटल/हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।
🌟 निष्कर्ष
धान की खेती में यदि वैज्ञानिक विधियों और उचित समय पर कार्य किया जाए तो किसान भाई अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बना सकते हैं।
“अच्छे बीज, संतुलित उर्वरक और समय पर सिंचाई — समृद्ध किसान की तीन चाबी!”