श्री अन्न क्या है यह सवाल अधिकांश लोगों के मन में आता है | श्री अन्न जिसे अंग्रेजी में Millets भी कहा जाता है | यह छोटे आकर के दाने वाले अनाज होते है | जो Poaceae कुल से आते हैं | यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों के लिए कम लागत और अधिक मुनाफे वाली फसल है। 2023 को भारत में श्री अन्न वर्ष (Millet year) के रूप में मनाया गया ताकि इसके महत्व को जन-जन तक पहुँचाया जा सके।
इनको मोटा अनाज भी कहा जाता है | इनमें सामान्य अनाज जैसे गेहूँ, चावल की तुलना से अधिक पोषक तत्व होते हैं | इनमे प्रचुर मात्र में फाइबर, प्रोटीन,विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं | जबकि वसा (कैलोरी) की मात्र कम होती है |
इनमे सभी प्रकार के पोषक तत्व होने के कारण इनको Superfood भी कहा जाता है |

श्री अन्न के प्रकार:-
यह दो प्रकार के होते हैं –
1. मुख्य श्री अन्न ( Major millet)
- ज्वार (Sorghum)
- बाजरा (Pearl Millet)
- रागी (Finger Millet)
इन्हें सामान्य तौर पर खाया जाता है |
2. लघु श्री अन्न (MInor millet)
- कांगनी (Foxtail Millet)
- कोदो (Kodo Millet)
- सामा या सांवां (Barnyard Millet)
- कुटकी (Little Millet)
- चेना (Proso Millet)
खेती में महत्त्व:-
- यह खाद्य, पशु चारा, इंधन, दवाइयां एवं अन्य उत्पाद के रूप में उपयोग किया जाता है |
- सूखे क्षेत्र और कम उपजाऊ वाली भूमि में भी अच्छी उपज दे सकते हैं | इनमें सुखा सहन करने की क्षमता अधिक होती है |
- इनमे बीज, उर्वरक, कीटनाशक,सिंचाई आदि कृषि निवेश कम लगता है, जिससे किसानों को कम लगत में अधिक लाभ मिलता है |
- यह रोग रोधी फसल होती हैं | इनमे कीट व्याधि कम लगने से किसानों की लगत कम हो जाती है |
- इनका भण्डारण लम्बे समय तक कर सकते हैं, यह जल्दी ख़राब नहीं होते हैं |
पोषण में महत्व :-
इसको “सुपर फूड” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं।
- प्रोटीन: मांसपेशियों के विकास में सहायक होता है |
- फाइबर: पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है |
- कैल्शियम और आयरन: हड्डियों की कमजोरी और खून की कमी को दूर करता है |
- एंटीऑक्सीडेंट: शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है |
इसके नियमित सेवन से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, और वजन घटाने में भी मदद मिलती है।
भारत में प्रमुख किस्में और उत्पादन क्षेत्र :-
भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के श्री अन्न की खेती की जाती है:
- बाजरा – राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश
- ज्वार – महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश
- रागी – कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड
- कोदो और कुटकी – मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
ये क्षेत्रीय किस्में जलवायु और मिट्टी के हिसाब से उपयुक्त होती हैं और स्थानीय किसानों के लिए बेहतर आय का साधन बनती हैं।
श्री अन्न से बनने वाले उत्पाद और रेसिपी :-
आजकल यह केवल पारंपरिक व्यंजनों तक सीमित नहीं है। इससे कई आधुनिक और हेल्दी फूड प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं:
- आटा और दलिया
- बिस्किट, पापड़ और नूडल्स
- रागी माल्ट, बाजरा रोटी, ज्वार भाकरी
इन उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे किसानों और उद्यमियों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
आर्थिक लाभ :-
- फसल का उत्पादन खर्च कम होता है।
- इसकी शेल्फ लाइफ अधिक होने से लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- घरेलू और निर्यात बाजार दोनों में इसकी अच्छी मांग है।
- प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर किसान वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बेच सकते हैं।
FAQ
Q1. श्री अन्न में कौन-कौन से अनाज शामिल हैं ?
उत्तर: बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, सांवा, कुटकी, चेना, कंगनी आदि |
Q2. श्री अन्न खाने के क्या फायदे हैं ?
उत्तर: यह प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और आयरन से भरपूर है, जो पाचन, हड्डियों और रक्त स्वास्थ्य को सुधारता है |
Q3. क्या श्री अन्न मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है ?
उत्तर: हाँ, श्री अन्न में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है |
Q4. श्री अन्न की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त है ?
उत्तर: हल्की, मध्यम और जल निकास वाली भूमि श्री अन्न के लिए सबसे अच्छी है |
Q5. सरकार श्री अन्न को क्यों बढ़ावा दे रही है ?
उत्तर: यह कम पानी में उगता है, पौष्टिक है, और जलवायु परिवर्तन के दौर में भी टिकाऊ फसल है |